बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने अपना तृतीय स्थापना दिवस ऑनलाइन वेबिनार द्वारा आयोजित किया, इस समारोह में डॉ. प्रेम कुमार, मंत्री पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए वहीं सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग डॉ. एन सरवण कुमार विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर भारतीय कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के अध्यक्ष डॉ. एके मिश्रा द्वारा स्थापना दिवस व्याख्यान भी प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के शुरुआत में विश्वविद्यालय के निदेशक आवासीय शिक्षा-सह-अधिष्ठाता स्नातकोत्तर शिक्षा प्रो. वीर सिंह ने सभी का स्वागत किया।
इस अवसर पर डॉ. प्रेम कुमार ने कहा की बिहार राज्य कृषि, पशु पालन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में बहुत तेजी से बढ़ रहा है, इस राज्य के विकास में इन क्षेत्रो का बहुत बड़ा योगदान है। कृषि रोड मैप के तहत राज्य में पशुधन के विकास के लिए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है और विगत तीन वर्षो में विश्वविद्यालय ने बहुत ही सराहनीय कार्य किये है और देश विदेश में अपनी सफलता स्थापित करने में सफल रहा है। उन्होंने कहा की राज्य के लोगों के आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए और पशुपालकों के प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण अनुसंधान परियोजनाओं का प्रावधान हो रहा है, विश्वविद्यालय के वेटरनरी क्लिनिकल कॉम्प्लेक्स में पहले की अपेक्षा बीमार पशुओं के केस में बढ़ोतरी देखी जा रही है जिससे ये बात साफ़ होती है की यहाँ इलाज की सुविधा पहले से बेहतर हो गयी है और पशुपालकों का विश्वास बढ़ा है। राज्य में कोविद के दौरान लौटे प्रवासी मजदूर भाइयों को रोजगारोन्मुख बनाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा कई ट्रैनिग का आयोजन किया गया है जो उनके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
पशु एवं मत्स्य संसाधन सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार ने कहा की इस विश्वविद्यालय ने बहुत ही काम समय में बेहतर काम कर के दिखाया है, शिक्षा, शोध, ट्रेनिंग, डिजिटल प्लेटफॉर्म में खुद को सशक्त करने के अलावा कई कार्य को इस विश्वविद्यालय ने सफलतापूर्वक पूरा किया है और कर रहे है जिससे पता चलता है की इस विश्वविद्यालय की नीव मजबूत है। विश्वविद्यालय के हर गतिविधियों में सरकार द्वार सहयोग किया जाता रहा है, और इसे आगे ले जाने में समय-समय पर जो भी मदद होगी वो किया जायेगा। उन्होंने अपने संबोधन में बताया की जल्द ही विश्वविद्यालय के नए भवनों का निर्माण शुरू होगा जो स्टेट ऑफ़ आर्ट मॉडल होगा जिसमे किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए भी कई कार्य किये जाने है, जो अंतिम चरण में है। उन्होंने ये भी कहा की जल्द ही कृषि विज्ञान केंद्र के तर्ज पर हर जिले में पशु विज्ञान केंद्र की स्थापना होगी, ये फेज में होगा और सबसे पहले डिविज़नल हेड क्वार्टर में इसकी स्थापना की जाएगी। लॉक डाउन की अवधि में विश्वविद्यालय ने टेक्नोलॉजी का बहुत ही बढ़िया उपयोग किया है, विश्वविद्यालय में भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एम्ब्रोयो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी लैब की स्थापना भी की गयी है, जिसके लिए अच्छे नस्ल के पशुओं को लाया गया है साथ ही एक अच्छी टीम को लगाया गया है ताकि एक बेहतर परिणाम निकल कर आए।
इस अवसर पर स्थापना दिवस व्याख्यान के लिए आमंत्रित भारतीय कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के अध्यक्ष डॉ. एके मिश्रा ने कहा की विश्वविद्यालय अपने तीन कामों के लिए जाना जाता है शिक्षा, शोध और प्रसार हमें ये प्रयास करना चाहिए की हम ऐसी मानव संसाधन तैयार करें जो संस्थान के माध्यम से समाज को कुछ बेहतर दे सके। एक विश्वविद्यालय की पहचान उनके पूर्ववर्ती लोगों के द्वारा समाज को दिए गए योगदान से होती है। उन्होंने शोध के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा की एक शिक्षक को उनके शोध के लिए राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है। किसी विषय पर शोध नए तकनीकी विकास को जन्म देती है। विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और अन्य संस्थानों के अंतर्गत कई परियोजना लायी गयी है जिसपर उन्होंने हर्ष व्यक्त किया। प्रसार की भूमिका पर उन्होंने कहा की किसी भी योजना, सुझाव, जानकारी का अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए।
कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने अपने अभिभाषण में विगत वर्षो में किये गए कार्यो का उल्लेख किया, उन्होंने विश्वविद्यालय के भावी योजनाओं और कार्यों के बारे में भी बताया। वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने हाल के दिनों में हुए तकनीकी विकास, डाटा सेण्टर, इंफ्रास्टक्टर डवलपमेंट और डिजिटल शिक्षक प्रणाली के बारे में बताया, उन्होंने लॉक डाउन में किये गए कार्यो की जानकारी साझा की जिसमे ऑनलाइन क्लास, ऑनलाइन एग्जाम और अन्य गतिविधियाँ शामिल है।
समारोह में लॉक डाउन के दौरान सराहनीय कार्य करने के लिए शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ बीएस बेनीवाल ने किया।
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