बांझपन की समस्या/ पशुओं के ना ठहरने के कारण व उपाय

4.4
(16)

पशुपालकों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है पशु का रिपीट होना या ग्याभन ना होना। अगर एक बार पशु ग्याभन नहीं होता मतलब 21 दिन बाद ही वो ग्याभन होगा और बियाने का वक्त और लम्बा हो जाएगा और दूध तभी मिलेगा जब पशु बच्चा देगी। एक महीना और उसके खाने पीने का खर्च अगर हम जोड़े तो पशुपालकों को रिपीट होने पर ज्यादा नुकसान होता है। आज हम पशु क्यों नहीं ठहरता है उसके कारण और उन कारणों के उपाय जानेंगे।

  • बच्चे की जन्मजात दोष: कुछ बच्चों के जन्म के समय से ही उनके प्रजनन अंगो में दोष होते है जिसके कारण वे कभी बच्चा नही दे सकते।
  • प्रजनन अंगो का पूर्ण रूप से विकसित न होना: बछड़ियों में पोषण के अभाव या फिर प्रोटीन के अभाव में उनके प्रजनन अंग पूर्ण रूप से विकसित नही होते है। और पशु गर्मी में तो जरूर आता है लेकिन अंग पूर्ण रूप से विकसित न होने के कारण वो ठहरता नही है,कई बार क्रॉस होने के बाद भी वही रिजल्ट रहता है।
    उपाय :-पशु डॉक्टर पशु के गूदा द्वार में हाथ डालकर यह जान सकता है की किस पशु के अंग पूर्ण विकसित नही है। ऐसे पशु को तुरंत ही ज्यादा प्रोटीन वाला खुराक जैसे की दाल को खिलाएं जिसमे प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।
  • प्रजनन अंगो में सूजन आना या फिर इन्फेक्शन लगना: वैसे तो प्रजनन अंगो में सूजन इन्फेक्शन के बाद ही आती है लेकिन कृत्रिम गर्भाधान के समय अगर इस्तमाल की जाने वाली AI गन गलती से अंदर लग जाती है तब भी सूजन आती है। इन्फेक्शन तब लगता है जब AI गन गंदी हो/जंतुरहित किए बिना ही उसका इस्तमाल कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाय। कभी कभी जब पशु को बियाते समय मदद की आवश्यकता होती है तब हाथ साफ किये बिना ही अंदर हाथ डालकर बछड़े को खीचने से मादा पशु को प्रजनन अंगो में इन्फेक्शन लगता है।
    उपाय :- हाथो को साबुन से धोकर और कपड़े से पोछकर ही बियाते समय बछड़े या मादा पशु को छुए। कृत्रिम गर्भाधान के समय AI गन को पहले साफ करवाये और फिर ही सीमन लगाए।
  • प्रजनन के अंतःस्राव को पैदा करने वाली ग्रंथियो में दोष: यह तभी होता है जब पशुओ को उनकी जरूरियात अनुसार पोषण/भोजन के तत्व न मिले।
    उपाय :- पशुओ को उनकी उम्र के हिसाब से और वजन के हिसाब से संतुलित पशु आहार देना चाहिए। क्योंकि पेट मस्त तो शरीर स्वस्थ।
  • पशुओका साइलेंट हिट/बिना चिन्हों वाली गर्मी में रहना: कई पशु गर्मी में आने के लक्षण नही दिखाते या तो कम या फिर अंत में दिखाते है। जिसकी वजह से पशु का कृत्रिम गर्भाधान करने का समय तय नही हो पाता है और सही समय पर गर्भाधान न करने पर वह पशु ठहरता नही है।
    उपाय :- पशु पिछली महीने में कब गर्मी में था वो तारीख को याद रखे और आने वाले 21वे दिन पशु के गर्मी के लक्षण सुबह और शाम को देखे क्योंकि उस समय तापमान ठंडा होता है और पशु गर्मी के लक्षण सही से दिखता है। अगर फिर भी गर्मी पहचानने में दिक्कत होतो पशु डॉक्टर 21वे दिन को बुलाये वह हस्त डालकर पता लगा सकते है की पशु गर्मी में है की नही। अगर आप एक बुल को रख सकते है तो जरूर रखिए क्योंकि वे साइलेंट हिट को पहचान सकते है या फिर 21 वे दिन पशु को बुल के पास ले जाए।
  • कृत्रिम गर्भाधान का समय: बहोत से लोग यही ज्यातर गलती करते है। पशु को हिट/गर्मी के आने के कितने समय बाद गर्भाधान करवाना चाहिए यह उन्हें पता नही रहता और कभी कबार डॉक्टर खुद देरी से आता है और इसी वजह से पशु गाभिन नही होता।
    उपाय :-पशु के गर्मीमें आने के लक्षण सुबह और शाम को ज्यादा दिखते है इसीलिए सूबह-शाम दूध दोहते समय पशु का गर्मी के लिए नजर रखे। पुरुष बीज का जीवन 24 घंटे का और स्त्री बीज का जीवन 12 घंटे का होता है। यह जानना इसीलिए जरूरी है क्योंकि स्त्रीबीज पशु के गर्मी के समाप्त होने के 12 घंटे बाद ओवरी से अलग होता है और अलग होने के बाद ही पुरुष बीज के साथ मिलकर गर्भ बनाता है। अब अगर पशु एक दिन गर्मी में रहता है तो उसको गर्मी के आने के 12 घंटे बाद गर्भाधान करना चाहिए। मतलब शाम को गर्मी में आए पशु को जल्दी सुबह में गर्भाधान करवाना चाहिए। कई पशु 2 दिन तक गर्मी में रहते है तो अगर वो आज शाम को हिट/गर्मी में आए तो उन्हें अगले दिन सुबह गर्भाधान करवाना चाहिए यानी की गर्मी के समाप्त होने से 12 घंटे पहले।
  • स्त्रीबीज का देरी से ओवरी(स्त्री प्रजनन अंग) से अलग होना: कई बार अन्तःस्रवो की गड़बड़ी के कारण स्त्रीबीज गर्मी के समाप्त होने के 12 घंटे के बाद अलग होने की वजह देरी से अलग होती है और टैब तक पुरुषबिज जो की 24 घंटे ज़िंदा राह सकता है वो मर जाता है इसी कारण पशु ठहरता नही है।
    उपाय :- सिर्फ पशु डॉक्टर ही गर्मी के समाप्त होने के बाद जांच करे तो पता चल सकता है और उपाय हो सकता है।
  • सिस्टिक ओवरी (प्रजनन तंत्र के अन्तःस्रवो की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी): इस बीमारी में पशु की गर्मी की लंबाई छोटी हो जाती है यानी की सामान्य तोर पे पशु 21 दिन में गर्मी में आता है जब पशु को सिस्टिक ओवरी हो तो पशु 21 दिन से पहके गर्मी में आता है और 5-6 दिन या उससे भी ज्यादा देर तक गर्मी में रहता है।
    उपाय :- पशु डॉक्टर की सलाह है क्योंकि हॉर्मोनल दवाईओ का इस्तमाल कर ही इसे ठीक किया जा सकता है।
  • तापमान की पशु के ठहरने पर असर : खास कर गर्मी की ऋतु में भैस में यह दिक्कत ज्यादा रहती है क्योंकि बाहरी गर्मीके कारण शरीर की गर्मी बढ़ने से वह पशु ठहरता नही है। गायो में यह समस्या कम होती है लेकिन फिरभी उनकी गर्म ऋतु में ठीक से देखभाल करना जरूरी है।
    उपाय :- भैसो के शरीर पर दोपहर को पानी छिड़के और शक्य हो तो तालाब में नहलाये। भैसो को ठंडे घंटो(सुबह और शाम) को ही खुराक दे क्योंकि खुराक खाने से शरीर का तापमान बढ़ता है। संतुलित चारा दे।
  • चारा पकाने के लिए दवाओं और पेस्टिसाइड का इस्तमाल: पेस्टिसाइड या दवा वाला चारा खाने से भी पशुओ के प्रजनन तंत्र पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
    उपाय :- पशुओ को कभी भी दवा वाला चारा न दे, उनके लिए ओर्गानिक चारा ही उगाये और खिलाए।
और देखें :  पशुओं के पाचन तंत्र संबंधी रोग
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

और देखें :  पालतू पशुओं में जिंक एवं अल्युमिनियम फास्फाइड की विषाक्तता के कारण एवं निवारण

औसत रेटिंग 4.4 ⭐ (16 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*