प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार में मछली उत्पादन, डेयरी, पशुपालन और कृषि में अध्ययन एवं अनुसंधान से संबंधित पीएम मत्स्य सम्पदा योजना, ई-गोपाला ऐप और कई पहलों का शुभारम्भ किया है।
पीएम मत्स्य सम्पदा योजना
इस अवसर पर अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि आज इन सभी योजनाओं के शुभारम्भ का उद्देश्य हमारे गांवों को सशक्त बनाना और 21वीं सदी में आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मत्स्य सम्पदा योजना भी इसी उद्देश्य से शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि 20,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इस योजना का देश के 21 राज्यों में शुभारम्भ किया जा रहा है। यह धनराशि अगले 4-5 साल में खर्च की जाएगी। इसके अलावा, आज 1,700 करोड़ रुपये की अन्य परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत पटना, पूर्णिया, सीतामढ़ी, मधेपुरा, किशनगंज और समस्तीपुर में कई सुविधाएं शुरू की जा रही हैं।
शहरों से वापस लौटने वाले कई कामगार पशुपालन की ओर
पीएम ने कहा कि कोरोना संकट के चलते शहरों से वापस लौटने वाले कई कामगार पशुपालन की ओर रुख कर रहे हैं और उन्हें केन्द्र सरकार तथा बिहार सरकार की कई योजनाओं से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार नए उत्पाद बनाने, नए नवाचार आदि में देश के डेयरी क्षेत्र के विस्तार पर लगातार प्रयास कर रही है, जिससे किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ेगी। इसके साथ ही, देश में पशुओं की गुणवत्ता में सुधार, उनकी स्वच्छता के रखरखाव और पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों तक पहुंच पर जोर दिया जा रहा है। इस लक्ष्य के साथ, पीएम ने कहा कि फुट एंड माउथ और ब्रूसीलोसिस से रक्षा के लिए 50 करोड़ पशुओं के टीकाकरण को आज मुफ्त टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ किया गया। पशुओं के अच्छे चारे के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रावधान भी किए गए हैं।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
उन्होंने कहा कि देश में बेहतर स्वदेशी नस्लों के विकास के लिए मिशन गोकुल पर काम जारी है। एक साल पहले शुरू किया गया देशव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का पहला चरण आज पूरा हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब गुणवत्तापूर्ण स्वदेशी नस्लों के विकास के लिए बिहार एक बड़े केन्द्र के रूप में उभर रहा है। बिहार आज राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत पूर्णिया, पटना और बरौनी में आधुनिक सुविधाओं के निर्माण के साथ डेयरी क्षेत्र को मजबूत बनाने जा रहा है। केन्द्र ने पूर्णिया में भारत के सबसे बड़े केन्द्रों में से एक का निर्माण किया है। इससे न सिर्फ बिहार, बल्कि पूर्वी भारत के एक बड़े हिस्से को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र ‘बच्छूर’ और ‘रेड पूर्णिया’ जैसी स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण को प्रोत्साहन भी देगा।
ई-गोपाला ऐप E-GOPALA APP
प्रधानमंत्री ने कहा कि आम तौर पर एक गाय एक साल में एक बच्चे को जन्म देती है। लेकिन आईवीएफ तकनीक की सहायता से एक साल में कई बछड़ों का जन्म संभव है। हमारा इस तकनीक को देश के हर गांवों में पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि अच्छी नस्लों के जानवरों के साथ ही, उनकी देखभाल के बारे में सही वैज्ञानिक जानकारी का होना भी खासा अहम है। आज शुरू किया गया ई-गोपाला ऐप (e-Gopala App) एक ऑनलाइन डिजिटल माध्यम होगा, जिससे किसानों को अच्छी गुणवत्ता के पशु चुनने में सहायता मिलेगी और बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। यह ऐप उत्पादकता से लेकर उनके स्वास्थ्य और खुराक तक पशुओं की देखभाल से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि जब पशु आधार नंबर को ई-गोपाला ऐप में डालने का काम पूरा हो जाएगा तो इससे जानवरों के बारे में सभी जानकारियां हासिल की जा सकेंगी। इससे पशु मालिकों के लिए पशुओं को खरीदना और बेचना आसान हो जाएगा।
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