पशुपोषण

मोरिंगा पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा

मोरिंगा यानी “मोरिंगा ओलिफेरा” (Moringa oleifera) एक बहु उपयोगी पेड़ है,  इसे हिन्दी में सहजन, सुजना, सेंजन और मुनगा, मराठी में शेवगा, तमिल में मुरुंगई, मलयालम में मुरिन्गन्गा, और तेलगु में मुनगावया, अंग्रेजी में ड्रमस्टिक और हॉर्स रेडिश ट्री आदि नामों से भी जाना जाता है।  >>>

पशुपोषण

अजोला- पशुओं के लिए हरा चारा का विकल्प

अजोला एक छोटा जलीय फर्न (पौधा) है, जो स्थिर पानी के उपर तैरता है। अजोला को हम घर में गड्ढा बनाकर तलाबों या धान के खेतों में कहीं भी उगा सकते हैं। इसे कई किसान भाई तो घर के पिछवाड़े में 1-1.5 गड्ढा करके प्लास्टिक पिछा कर उगा रहे हैं। यह पानी में एक दम हरे रंग का होता है। >>>

डेरी पालन

गाय व भैंसों के लिए सन्तुलित आहार

शरीर को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है, जो उसे आहार से प्राप्त होता है। अन्य जीवधारियों की तरह गाय व भैंसों को भी जीवन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। गाय व भैंस शाकाहारी होते हैं एवं चारा ही इनका मुख्य भोजन होता है। >>>

पशुपोषण

हाईड्रोपोनिक्स (Hydroponic)-परंपरागत हरे चारे का सही विकल्प

वर्तमान परिदृश्य में हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponic) खेती दुनिया के कृषि उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। खेती योग्य जमीन की कमी, बढती आबादी, पानी की कमी, गुणवत्ता रहित पानी व भूमि तथा जलवायु परिवर्तन ऐसे प्रमुख कारण है जो किसानों को बागवानी के वैकल्पिक तरीको की ओर प्रोत्साहित कर रहे है। >>>

पशुपोषण

नवजात शिशु (बछड़े) का संतुलित आहार

पशु पालकों को चाहिए कि गाय व भैंस द्वारा जन्म देने के 1-2 घण्टे के भीतर फेनुस को या तो निकाले अथवा बछड़े को थन (छीमी) के पास ले जाकर थन (छीमी) को धीरे-धीरे उसमें >>>

पशुपोषण

पशु प्रजनन एवं दुग्ध उत्पादन में पोषण का महत्व

पशुपालन व्यवसाय में पशु आहार/प्रबन्धन एक महत्वपूर्ण कार्य है। हमारे देश में पशुओं का पोषण कृषि उपज पर निर्भर करता है। चारे व दाने की कमी के कारण पशुओं को निम्न कोटि का चारा जैसे-भूसा, कड़वी, आदि पर निर्वाह करना पड़ता है। ऐसे निम्न कोटि के चारे दाने की उपलब्धता भी पशुओं की संख्या के अनुपात में काफी कम है। >>>

पशुपोषण

अत्यधिक दूध उत्पादक पशुओं में बायपास वसा (Bypass Fat) का महत्व

आमतौर पर, ताजे ब्यांत और अधिक दूध देने वाले पशुओं के आहार में उर्जा की कमी पाई जाती है। पशु के कम खाने एवं दूध उत्पादन बढने से इस उर्जा का अभाव और अधिक बढ़ जाता है। ऐसा देखा गया है, कि ब्यांत के बाद पशुओं में 80 से 100 किलो के आसपास शरीर का वजन कम होना आम बात है। >>>

पशुपोषण

पशुओं में विटामिन A का महत्व

कई क्रियाओं के संचालन के लिये विटामिन ‘A’ बहुत जरूरी है। इसकी कमी होने पर अंधापन, चमड़ी सूख कर सख्त हो जाती है। खुरचन उतरती रहती है प्रजनन क्षमता में कमी तथा नवजात बछड़ों में जन्मजात विकृतियां पैदा हो जाती है। >>>

पशुपालन

पशुओं को यूरिया खिलाने का महत्व एवं सावधानियाँ

एक किलोग्राम यूरिया में 7-9 किलोग्राम खली के बराबर नत्रजन होती है, जब पशु को यूरिया खिलायी जाती है तो रूमन में यह अमोनिया गैस में बदल जाती है और सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा प्रोटीन में परिवर्तन हो जाती है। पशु शरीर की प्रोटीन के विघटन से होने वाले इसके नत्रजन हास को भी कम किया जा सकता है। >>>

पशुपोषण

पोल्ट्री उपोत्पाद (By-Product) का पशु आहार के रूप में विविध उपयोग

पक्षियों से मांस उत्पादन के दौरान मांस के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के उपोत्पाद (By-Product) काफी मात्रा में प्राप्त होते हैं। मांस उद्योगों के लिए वधशाला या बुचड़खानों के उपोत्पादों का निपटारा करना एक बड़ी समस्या हो जाती हैं क्यूंकि एक तो ये बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं तथा दूसरे वे बहुत ही जल्दी खराब हो जाते हैं और पर्यावरण के लिए समस्या बन जाते हैं। >>>

पशुपोषण

हरे चारे को साईलेज (अचार) बनाकर संरक्षित करना

बरसात के मौसम के समय हरा चारा आवश्यकता से अधिक उपलब्ध रहता है। यदि इस चारे को साईलेज (चारे का अचार) Silage बनाकर संरक्षित कर लिया जाय तो, शुष्क मौसम तथा चारे की कमी और अभाव के दिनों में पशुओं को
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