पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी पशुओं में जेर रुकने की समस्या एवं प्रबंधन

सामान्यतः गाभिन पशुओं में ब्याने के 3-6 घंटे के अंदर जेर स्वतः बाहर निकल आती है, परन्तु यदि ब्याने के 8-12 घंटे के बाद भी जेर नहीं निकला तो उस स्थिति को जेर के रुकने की स्थिति कहा जाता है। जेर की रुकने की समस्या का डेयरी पशु के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। >>>

भेड़ बकरी पालन

भेड़-बकरियों में फड़किया रोग (एंटरोटॉक्सिमिया)

यह भेड़ और बकरियों का एक जीवाणु जनित रोग है जो क्लोस्ट्रीडियम परफ्रेंजेंस के कारण होता है। ओवरईटिंग (वयस्कों में) या गुर्दा रोग (मेमनों में) के रूप में भी जाना जाता है। ये बैक्टीरिया सामान्य रूप से >>>

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गौ पशुओं में लंपी स्किन डिजीज: लक्षण एवं रोकथाम

लंपी स्किन डिजीज एक विषाणु जनित बीमारी है, जो पॉक्सवायरस से होती है। सितंबर 2020 में भारत में पहली बार इसका प्रसार हुआ था।इसमे मृत्यु दर लगभग 5% है परंतु इसका प्रसार काफी अधिक है। यह एक नई उभरती हुई >>>

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दुग्ध ज्वर: दुधारू पशुओं की प्रमुख समस्या

दुग्ध ज्वर इन्ही बिमारियों में से एक है जो दुधारू पशुओं को मुख्यतः प्रभावित करती है, यह रोग अन्य कई बिमारियों का ‘प्रवेश द्वार’ भी है। यह रोग पशुओं की दुग्ध उत्पादकता को कम करने के अलावा प्रजनन में भी बाधक बनता है। दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक या उपापचयी रोग है जिसे अंग्रेजी भाषा में ‘Milk Fever’ और  आम बोल चाल की भाषा में ‘सुन्नपात’ भी कहा जाता है।  >>>

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डेयरी पशुओं में योनि की सूजन (Vaginitis) कारण, लक्षण एवं उपचार

योनि में सूजन मुख्यतः तीन प्रकार की पाई जाती है : 1. जूविनाइल वेजाइनाइटिस मुख्य रूप से भैंस की ओसर जो प्रीप्यूबर्टल अवस्था में जब अंडाशय के पुटक विकसित होना प्रारंभ होते हैं और स्क्वैमस एपीथिलियम >>>

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बछड़ों को पेशाब रुकने अर्थात पेशाब के बंधे से कैसे बचाएं?

सर्दियों के दिनों में अक्सर बछड़ों एवं कटड़ों को पेशाब के रुकने से होने वाली परेशानी बंधे से बचाने के लिए नौसादर का प्रयोग उपयुक्त माना गया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं सर्दियों में पेशाब का रुकना >>>

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पशुओं में पुछकटवा रोग या डेगनाला रोग

दुधारू पशुओं में डेगनाला बीमारी की संभावना नवंबर से फरवरी के बीच अधिक रहती है।पशुओं में कुछ कटवा रोग या डेगनाला रोग मुख्यतः भैंस जाति के पशुओं में होता है । परंतु गोवंश के पशु भी इस संक्रमण के शिकार >>>

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पशुओं में होनें वाले बिस्सी रोग (फैष्योलोसिस या लिवर फ्लूक रोग) और उससे बचाव

यह रोग यकृत में पाए जाने वाले फेसियोला प्रजाति के चपटे , पत्ती के आकर के हल्के या गहरे भूरे रंग के पैरासाइट द्वारा होता है। इसकी एक प्रजाति पहाड़ी व पर्वतीय इलाकों में रह रहे पशुओं में पाई जाती है >>>

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दुधारू पशुओं में ढेलेदार त्वचा रोग (लंपी स्किन डिसीज) कारण एवं निवारण

लंपी स्किन डिसीज अर्थात एल .एस. डी. गोवंश पशुओं में होने वाला विषाणु जनित अत्यंत संक्रामक रोग है। यह पॉक्स परिवार के विषाणु जिससे अन्य पशुओं में पाक्स अर्थात माता रोग होता है। पहली बार वर्ष 1929 में >>>

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पशुओं में होने वाली प्रजनन संबंधी समस्याओं तथा उनका प्रबंधन

प्रजनन संबंधी रोग सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है जो डेयरी गायों के उत्पादन और उत्पादकता को प्रभावित करती है। इनमें से अधिकांश समस्याएं प्रसव के समय और उसके तुरंत बाद उत्पन्न होती हैं। जिसके >>>

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पशु प्रजनन को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोग

पशुओं के प्रजनन को प्रभावित करने वाले मुख्य संक्रामक कारण जीवाणु विषाणु प्रोटोजोआ एवं कवक जनित हो सकते हैं। जीवाणु जनित कारण निम्नांकित हो सकते हैं: ब्रूसेलोसिस अर्थात संक्रामक गर्भपात कैंपाइल >>>

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पशुओ में सर्रा रोग

सर्रा रोग (Surra) मेरुडण्ड वाले प्राणियों को लगने वाला रोग है। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो पशु मर सकता है। यह रोग ट्रिपनोसोमा-इवेनसाई (Trypanosoma evansi) नामक परजीवी के कारण होता है। >>>

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दुधारू पशुओं के प्रमुख रोग व उनका उपचार

दुधारू पशुओं में अनेक कारणों से बहुत सी बीमारियाँ होती है। सूक्ष्म विषाणु, जीवाणु, फफूंदी, अंत: व ब्रह्मा परजीवी, प्रोटोजोआ, कुपोषण तथा शरीर के अंदर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) क्रिया में विकार आदि प्रमुख कारणों में है >>>

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सामाजिक जीवन पर कृषि रसायनों के दुष्प्रभाव, रोकथाम एवं नियंत्रण

विश्व में लगभग 45% फसल कीट और रोगों द्वारा नष्ट हो जाती है। अतः विश्व में भोजन की मांग को पूरा करने के लिए कीटनाशकों का उपयोग कृषि में कीटों और रोगों के खिलाफ अतिआवश्यक है। इसी प्रकार फसल कटाई के >>>